मोहन राकेश के नाटक:आषाढ़ का एक दिन में निहित आधुनिक युगबोध

Dr Pooran Mal Verma
आचार्य हिन्दी राजकीय महाविद्यालय टोंक Email-verma.puru999@gmail.com, Mobile- 8239999466
हिन्दी साहित्य में सभी विधाओं का अपना विशेष महत्व है। आधुनिक काल में कथा साहित्य, काव्य लेखन की ओर अग्रसर है। उसी भांति नाट्यशास्त्र की परम्परा के अनुसार नाटककारों ने बताया कि उनके नाटकों में अभिनय का बहुत ही सहज रूप में मंचन किया है। नाटकों में आधुनिकताबोध तथा समकालीन संवेदनाओं की अभिव्यक्ति एवं मोहन राकेश के सभी नाटकों में आधुनिकताबोध उपलब्ध है। यह युगबोध ही उन्हें एक सफल नाटककार बना देता है। आधुनिक सिनेमा तथा अन्रू दृश्य श्रव्य माध्यमों ने वस्तु तथा शिल्प के क्षेत्र के कई नूतन प्रयोग मोहन राकेश के नाटकों से ग्रहण किया है। राकेश की लेखन-शक्ति बहुमुखी थी। मोहन राकेश ने जिन रंगमंचीय तकनीकों का प्रयोग किया है उनका भी पूरा स्वागत भारतीय दृश्य कला जगत ने किया है। मोहन राकेश के नाटकों में आधुनिकताबोध यह युगबोध ही है जो कि उन्हें एक सफल नाटककार बना देता है। आधुनिक सिनेमा तथा अन्रय दृश्य श्रव्य माध्यमों ने वस्तु तथा शिल्प के क्षेत्र में कई नूतन प्रयोग मोहन राकेश के नाटकों से ग्रहण किया है। राकेश की लेखन-शक्ति बहुमुखी थी। मोहन राकेश ने जिन रंगमंचीय तकनीकों का प्रयोग किया है उनका पूरा स्वागत भारतीय दृश्यकला जगत ने किया है।

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