भारत की अध्यक्षता में जनोन्मुख बनता जी-20

Dr.Sharda Devi
सहायक आचार्य, राजनीति विज्ञान, राजकीय कला महाविधालय, सीकर, Email-saru.sdc2001@gmail.com, Mobile-9772107743
विश्व की बदलती आर्थिक परिस्थितियों में वैश्विक अर्थव्यवस्था में करीब 80 फीसदी से ज्यादा का प्रतिनिधित्व करने वाले ळ.20 की अध्यक्षता भारत की वैश्विक आर्थिक नीतियों सतत और समावेशी विकास की स्वीकार्यता है। G.20 का गठन 1999 में एशियाई वित्तीय संकट के बाद आर्थिक स्थिरता लाने के लिए किया गया था। 2008 के वित्तीय संकट के बाद G-20 के सदस्य राष्ट्रों के सम्मेलनों के आयोजन की शुरूआत हुई जिसमें आर्थिक मुद्दों के साथ-साथ राजनीतिक और पर्यावरणीय मुद्दों पर भी चर्चा होने लगी। नवम्बर 2022 में इंडोनेशिया के बाली शहर से शुरू हुई भारत की अध्यक्षता में G-20 ने सफलता के नये अध्याय जोड़े। भारतीय संस्कृति के ध्येय वाक्य ‘‘वसुद्यैव कुटुम्बकम‘‘ यानि एक धरती, एक परिवार और एक भविष्य को सम्मेलन की थीम बनाकर वैश्विक आर्थिक नीतियों का आधार बनाने की पहल नई-दिल्ली से की गयी। भारत की अध्यक्षता में G-20 लोकतांत्रिक और जनता के सम्मेलन का रूप लेता नजर आया। वर्ष भर की अध्यक्षता में बैठकों का दौर केवल नई दिल्ली तक सीमित नहीं रहा बल्कि कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक विविधता में एकता और सहयोगी संघवाद की झलक दिखाई दी। पूरे साल नागरिक संगठन और जमीनी स्तर के नेता, महिलाएं युवा और यहां तक कि स्कूल के बच्चे इस आयोजन से जुड़े। भारत के नेतृत्व में अफ्रीकी संघ को G-20 का सदस्य बनाना भारत की लोकतांत्रिक संस्कृति को वैश्विक पहचान दिलाने वाला कदम था। मानव केन्द्रित विकास पर जोर देते हुए भारत ने अपनी अध्यक्षता में G-20 को आर्थिक सुरक्षा परिषद बनाने पर जोर दिया। नई दिल्ली सम्मेलन ने आतंकवाद से लेकर आर्थिक संवृद्धि, जलवायु परिवर्तन, महिला सशक्तिकरण, समावेशी और सतत विकास, ऊर्जा सुरक्षा जैसे- वैश्विक मुद्दों के समाधान के नये रास्ते प्रस्तुत किये। भारत को G-20 की अध्यक्षता ऐसे मौके पर मिली, जब कोविड-19 महामारी के बाद उसे जबरदस्त आर्थिक रिकवरी और पुनर्निमाण के लिए पूरी दुनियां में सराहा जा रहा था। भारत ने अपने नेतृत्व में नई दिल्ली घोषणा प्रपत्र के माध्यम से आने वाले वर्षों के लिए एक मानव केन्द्रित प्रगति का विजन प्रस्तुत किया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने G-20 की अध्यक्षता ब्राजील को सौंपते हुए कहा कि समस्त लोगों, धरती, शांति और समृद्धि के लिए हमारे सामूहिक कदमों की गूंज आने वाले वर्षों में निरंतर सुनाई देती रहेगी। यह शोध पत्र अपनी अध्यक्षता के दौरान जी-20 को जन- उन्मुख बनाने में भारत द्वारा निभाई गई परिवर्तनकारी और प्रभावषाली भूमिका पर प्रकाष डालता है। भारत की अध्यक्षता में जी-20 ने न केवल अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर लोकतांत्रिक स्वरूप प्राप्त किया बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी जनता का सम्मेलन बन गया। जी-20 के मंच से भारत ने विष्व के सामने पर्यावरण अनुकूल जनकेन्द्रित नीतियां प्रस्तुत की जो अनेक वैष्विक समस्याओं के समाधान बताती है।

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