भारत एक लोक कल्याणकारी राज्यः स्वास्थ्य का अधिकार, 2022 राजस्थान

Dr Sandeep Kumar Sunda
सहायक आचार्य पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावाटी विश्वविद्यालय, सीकर (राज.) Email : sandeepsunda123@gmail.com
‘‘स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मन, मनुष्यता का पहला नियम है।’’ -महात्मा गाँधी 07 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस प्रति वर्ष बड़ी धूमधाम से मनाया जाता रहा है। 2023 यानी इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य दिवस की थीम "Heath for All" अथवा ‘‘सभी के लिए स्वास्थ्य’’ रखी गयी है। यह थीम इस सोच को उजाकर करती है कि स्वास्थ्य सभी मनुष्यां का बुनियादी अधिकार है और प्रत्येक मनुष्य को बिना किसी वित्तीय कठिनाइयां के जब और जहाँ इसकी आवश्यकता हो सभी को समान रूप से स्वास्थ्य सेवाएँ अनिवार्य रूप से मिलनी चाहिए। सेवा भाव के दृष्टिकोण से समाज में डॉक्टर्स को भगवान का दर्जा भी दिया जाता है। आजादी के बाद से लेकर अब तक ढ़ेरो कल्याणकारी योजनाएँ बनी है और उनके फायदे व नुकसान नागरिक समाजां ने अनुभव किए है। देश को आजाद हुए आज 76 वर्ष गुजर गए है और देश स्तर पर लोगां के जीवन स्तरां में आये आमूलचूल परिवर्तनां या धुआँ-धार विकास का अमृत महोत्सव मना रहे है। अफसोस! आजादी के इतने वर्षों बाद तथा इतनी सारी कल्याणकारी योजनाआें के बावजूद भी भारत में गरीबी, बेरोजगारी, भूखमरी, अशिक्षा और अस्वस्थता अपने पैर जमाएँ नींव की तरह खड़ी है। तब यह अवलोकन निरर्थक नहीं हो सकता है कि आजादी से अब तक के सतत् विकास में धुआं अधिक और धार बहुत कम रहा है। इसी बीच भारत के राजस्थान राज्य द्वारा 21 मार्च 2023 को ‘स्वास्थ्य का अधिकार, 2022’ के रूप में प्रदेश के नागरिकां को स्वास्थ्य सेवाएँ अनिवार्य रूप से पाने का हक और अधिकार देने की कवायद की गयी है। इस विधेयक के तहत राज्य सरकार द्वारा यह उत्तरदायित्व तय किया जाता है कि राजस्थान का कोई भी नागरिक इलाज के अभाव ना रहें और ना कष्ट पाए। प्रदेश का प्रत्येक नागरिक इलाज के खर्च से चिंतामुक्त हो और उसे गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ सुलभ हो। इसी आधार पर यह सभी नागरिकों के गौरव का विषय भी है कि ऐसा कदम उठाने वाला राजस्थान देश का पहला राज्य बना है। राजस्थान को मॉडल स्टेट बनाने के सभी दावां और उद्देश्यां के साथ ‘स्वास्थ्य का अधिकार, 2022’ विधेयक विधानसभा से 21 मार्च 2023 के दिन पारित किया जाता है। स्वास्थ्य का अधिकार, 2022 विषय से संबंधित समस्या को इस शोध पत्र में शामिल किया गया है। इस समस्या से संबंधित तथ्यां को संकलित करने हेतु अर्न्तवस्तु विशलेषण विधि व प्राथमिक एवं द्वितीयक स्त्रोतां का उपयोग किया गया है। साथ ही संकलित तथ्यां के आधार पर शोध अवलोकन व विशलेषण, विषय का महत्व, चुनौतियाँ और समाधान की सम्भावनाआें को प्रस्तुत करने की कोशिश की गयी है।

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