सरकारी एवं निजी विद्यालयों में अध्ययनरत् विद्यार्थियों में सामाजिक मीडिया से उत्पन्न दुष्चिन्ता का अध्ययन करना
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Published on: Dec 31, 2023
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DOI: CIJE202384872
Seema Bhargava
एम.एड.प्रशिक्षणार्थी श्रीमती रामकुमारी टीचर्स टेªनिंग कॉलेज, मुकन्दगढ़ मण्डी, झुन्झुनूं Email- seemabhar123@gmail.com, Mobile-94613 59161
दुश्चिन्ता को हम विभिन्न प्रकार की चिन्ताओं का समावेश मान सकते हैं क्योंकि मनुष्य एक चिन्तनशील प्राणी है। हर मनुष्य अपने में आत्मगौरव का एक स्तर बनाये रखता है। यह गौरव तब तक बना रहता है जब कि व्यक्ति असफलताओं से दूर बना रहता है। इसका अर्थ यह कदापि नहीं है कि मनुष्य कभी असफल ही न हो, जीवन में असफलताएं तो आती है लेकिन व्यक्ति अपनी योग्यता व विवेक से असफलताओं से संघर्ष करता है और पराभूत करके लक्ष्य प्राप्ति कर लेता है। लक्ष्य प्राप्ति के साथ ही तनाव, निराशा और आत्महीनता समाप्त हो जाते हैं। परन्तु यह भी सत्य है कि लक्ष्य प्राप्ति सुगमता से नहीं होता। इसमें व्यक्ति को कई बाधाओं का समाना करना पड़ता है। तब कहीं वह लक्ष्य तक पहुंचता है। यही बाधापूर्वक स्थिति दुष्चिन्ता कहलाती है। व्यक्ति इन दुश्चिन्ताओं से ग्रसित होकर संतप्त हो जाता है और स्वयं को बहुत दुखी महसूस करता हैं।