महर्षि अरविन्द घोष के शैक्षिक विचारों की आधुनिक सन्दर्भ में प्रासांगिकता
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Published on: Jun 30, 2023
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DOI: CIJE202382784
Dr Pawan Kumar
प्राचार्य ए.एस.कॉलेज ऑफ एजुकेशन, कलाल-माजरा, खन्ना, लधियाना, पंजाब Email- pawarkumar197115@gmail.com, Mob.-9417150563, 9914414333
श्री अरविन्द एक राष्ट्रवादी विचारक थे। वह स्वयं एक देश भक्त थे। इसके साथ श्री अरविन्द भौतिकवादी जीवन पद्धति के साथ शिक्षा के तादाम्य के बीच मानव जीवन के अंतर्मन में उतर आने वाली भौतिकता स्वार्थपरता व संकीर्णता से मानव जाति को बचाने का प्रयास करते हुए शिक्षा को आध्यात्मिकता से जोडते है वह बालक के भौतिक विकास व उसके आत्मिक विकास को पर्याप्त महत्व देते हए शिक्षा के माध्यम से स्वस्थ, शुद्ध व नैतिक शिक्षितों के द्वारा आदर्श समाज की स्थापना का मार्ग दिखाते है। उन्होने शिक्षा को मनुष्य में निहित शक्तियों का बाहृय प्रस्फुटन माना। मनुष्य में निहित तामसी गुणों का दमन कर रजस गुणों व सात्विक गुणों को जागृत करना शिक्षा का प्रमुख उत्तरदायित्व माना था। जोकि एक आदेश व्यक्तित्व का निर्माण कर सकेगा।