स्वामी केशवानन्द और डा. भीमराव अम्बेडकर के सामाजिक और शैक्षिक विचारों का अध्ययन
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Published on: Dec 31, 2024
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Co-Authors: डॉं. प्रीती ग्रोवर
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DOI: CIJE2024941046_47
Mani Ram
शोधार्थी , शिक्षा विभाग, टांटिया विश्वविद्यालय , श्रीगंगानगर
Co-Author 1
डॉं. प्रीती ग्रोवर
सह आचार्य, शिक्षा विभाग टांटिया विश्वविधालय, श्रीगंगागनर
समाज सुधारक स्वामी केषवानन्द जी ने मरूस्थल में प्रचलित मृत्यु भौज, अनमेल विवाह , बाल-विवाह, नारी उत्पीडन , पर्दाप्रथ एवम नषा सेवन आदि समाज के गरीबों और कष्टों में डालने वाली बुराईयों का विरूद्व किया स्वामी जी ने ग्रामीण अंचल में व्यप्त अन्धविष्वासों और अर्थहीन रूढियों को जडे से खोदने के लिए केषवानन्द ने आवष्यक समझा। डा0 भीमराव अम्बेडकर अगांध ज्ञान के भण्डार, अदभुत प्रतिभा के धनी समाज सुधारक , संविधान षिल्पी और राजनीतिज्ञ थे। अम्बेडकर जी का सम्पूर्ण जीवन भारतीय समाज मे सुधार के लिए समार्पित था। अस्पृष्यों तथा दलितों के वे मसीहा थे। उन्होने अपने विरूद्व होने वाले अत्याचारों शौषण अन्याय तथा अपमान से संघर्ष करने के लिये षिक्षा रूपी शक्ति दी। डा0 भीमराव अम्बेडकर जी के द्वारा किये गये कार्यो के कारण उन्हे भारत का अब्राहम लिंकन और माटिंन लूथर कहा गया है।