सक्रिय एवं अनुभवजन्य अधिगम की आवश्यकता महत्व एवं क्रियान्वयन
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Published on: Jun 30, 2024
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DOI: CIJE202492977
Dr. Suman lata Yadav
सहायक आचार्य संजय शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय जयपुर Mobile-8619404133 Email-yadavsuman820@gmail.com
प्रस्तुत लेख अनुभवजन्य अधिगम का अर्थ आवश्यकता, महत्व,क्रियान्वयन व इसके परिपेक्ष में विभिन्न शैक्षिक चिंतकों के चिंतन को दर्शाता है। अनुभवजन्य अधिगम से तात्पर्य है स्वयं के अनुभव द्वारा सीखना यह व्यक्तिगत सीखने की प्रक्रिया है आज विश्व में प्रायोगिक कार्य की आवश्यकता को महसूस किया गया है संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक दशाबिद में शैक्षिक विकास के लिए यूनेस्को ने टीचिंग लर्निंग फॉर ए सस्टेबिल फ्यूचर कार्यक्रम में अधिगमकर्ताओं को अनुभवों के द्वारा सीखने पर बल दिया गया है शैक्षिक चिंतक स्वामी विवेकानंद ने अधिगम की अवधारणा में जीवन के अनुभवों पर अत्यधिक जोर दिया है डेविड कोल्व ने अनुभव पर आधारित चार शैलियाँ बताई हैं कक्षा में शिक्षक की मार्गदर्शन में विषय एवं परिस्थिति के अनुसार अनुभवजन्य अधिगम की वयूह रचनाओं को का उपयोग कर शिक्षक को अधिक प्रभावशाली बनाया जा सकता है.