शिक्षा में नए रुझान और आधुनिक दृष्टिकोण एन टी एम ए ई – 24 उप विषय- शैक्षिक परिपेक्ष्य में नैतिकता एवं जीवन मूल्यों की प्रासंगिकता
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Published on: Jun 30, 2024
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Co-Authors: डॉ सुधीर रुपानी
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DOI: CIJE202492994_95
Santosh Tanwar
शोधार्थी, शिक्षाशास्त्र -महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय बीकानेर Email-9530006114 Email-santoshtanwar1983@gmail.com
Co-Author 1
डॉ सुधीर रुपानी
रीडर -शिक्षाशास्त्र राजकीय उच्च अध्ययन शिक्षण संस्थान बीकानेर
शिक्षा निरंतर चलने वाली एक प्रक्रिया है जिससे मनुष्य समाज को विकास की ओर अग्रसर करता है । शिक्षा शब्द संस्कृत की शिक्ष् धातु में आ प्रत्यय लगने से बना है जिसका अर्थ सीखने से है अर्थात अपने ज्ञान में निरंतर वृद्धी करना। मानव इस भौतिक युग में अपनी पहचान खोता जा रहा है वह केवल भौतिक सुख सुविधा के पीछे भाग रहा है। इस भौतिकवादी समाज में व्यक्ति को फिर से अपनी पहचान बनाने हेतु नैतिक एवं जीवन मूल्यों को अपनाना होगा । हमें विद्यालय में बालकों के नैतिक विकास को बढाने के लिए उन्हें अच्छी शिक्षा प्रदान करनी चाहिए, जिससे जीवन में आने वाली प्रत्येक समस्या का समाधान बालक अपने विवेक से कर सके ।वह अपने जीवन में सहयोग, सदाचार ,दया, सहानुभूति, अहिंसा ,आदि मूल्यों को अपना सके । इन नैतिक मूल्यों द्वारा समाज को शांति के पथ पर आगे बढ़ाया जा सकता है। इसलिए शिक्षक को बालक के सर्वांगीण विकास का प्रयास निरंतर करते रहना चाहिए। वर्तमान समय में नैतिक एवं जीवन मूल्यों को अपनाने हेतू शिक्षक द्वारा प्रयास करने चाहिए।