राजनीतिक चेतना के विकास में धार्मिक केन्द्रो की भूमिका का अध्ययन (वागड के संदर्भ में )

GANESH LAL PATIDAR
शोधकर्ता , गोविन्द गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय,बांसवाडा

Co-Author 1

डॉ किरण पूनिया
शोध निर्देशक ,सह आचार्य , गोविन्द गुरु महाविद्यालय, बांसवाडा
राजनीतिक चेतना का क्षैत्र अत्यन्त व्यापक है ।इसमें न केवल राजनीतिक व्यवस्था , राज्य सम्बन्धि ज्ञान या अनेक संस्थाओ की जानकारी मिलती है अपितु इसमें यह बोध होता है कि देश की विभिन्न संस्थाए एवं पदाधिकारी क्या कार्य करते है और वह व्यक्ति व समाज के लिए कितने उपयोगी व लाभदायक है ।राजनीतिक चेतना से ही बोध होता है कि जनप्रतिनिधि क्या कार्य करते है और उनका राष्ट्र के विकास पर क्या प्रभाव पडता है ।धार्मिक संस्थाओ कीजनजागृतिपरक विचारो व कार्यशैली ने वागड की जनजाति समुह में राजनीतिक चेतना विकसित कर उनकी सोच विचार में आज व्यापक परिवर्तन किया है। आज सामाजिक राजनीतिक क्षैत्र हो या आर्थिक क्षैत्र इन समस्त क्षैत्रो में जनजाति ने अपने आपको विकसित व सक्षम किया है , प्रगति व उन्नति के पथ पर आगे है । राजनीतिक चेतना के कारण ही राजनीति क्षैत्र में जनप्रतिनिधि के रुप में नेतृत्व कर जनजाति क्षैत्र का विकास कर रहे है । आज लोकतन्त्र की महत्वपुर्ण लोकल्याणकारी योजना का लाभ लेने के लिए तत्पर है व लोकतन्त्र को मजबुत करने में प्रयत्नशील है ।

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