महर्षि अरविन्द घोष का सर्वांग योग एवं शैक्षिक चिंतन

Meenakshi Sharma
शोधार्थी (शिक्षा विभाग), राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर Mobile-8290886451 Email-bhardwajmeenu1883@gmail.com
महर्षि अरविन्द घोष एक महान दार्शनिक, शिक्षा शास्त्री, राष्ट्रवादी, योग गुरू, पत्रकार, कवि, निबंधकार आदि थे। उन्होंने शिक्षा व योग के संबंध में जो विचार प्रस्तुत किए, वे हर युग में मूल्यवान है, क्योंकि उनकी शिक्षा का लक्ष्य बालक का पूर्ण विकास कर उसे समग्र मानव बनाना था। उसे मानव कल्याण की ओर अग्रसर करना था। उनका सर्वांग योग भी केवल आत्म मोक्ष व आत्म कल्याण की भावना तक सीमित ना होकर विश्व कल्याण की भावना से प्रेरित था। महर्षि अरविन्द का मानना था कि मानव सर्वांग योग व शिक्षा के माध्यम से अपना समग्र विकास कर इस सांसारिक जीवन में ईश्वर को प्राप्त कर सकता है। इसका सिर्फ एक ही साधन है ‘समग्र शिक्षा’।

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