भारत में संचार के प्रमुख माध्यमों का बदलता स्वरूप
- View Abstract
- Download PDF
- Download Certificate
-
Published on: Dec 31, 2023
-
DOI: CIJE202384878
Dr Rakesh Kumar Sharma
व्याख्याता-राजनीति विज्ञान राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, भवानी-खेड़ा (अजमेर) Email: drrakeshsharma78@gmail.com, Mobile: 9982674320
मनुष्य द्वारा शब्द, संगीत, हाव-भाव इत्यादि रूप से होने वाली सम्प्रेषण प्रक्रियाएँ संचार का हिस्सा है। संचार की प्रक्रिया में मानव शरीर के कई अंग संयुक्त अथवा पृथक-पृथक रूप में भूमिका निभाते हैं। इनमें मुख, हाथ, चेहरा तथा शरीर के अन्य कई अंग प्रमुख हैं। शरीर के अंग सूचना प्रवाह, सूचना की ग्रहणशीलता, सूचना प्रेषक, संचार माध्यम, संचार संपादन एवं सूचना नियंत्रक का कार्य करते है। समाज में संचार प्रवाह भाव भंगिमा या भाषा के माध्यम से ही होता है। भाव भंगिमा एक प्रक्रिया होती है जो संचार का ही रूप है। भाषा एक स्पष्ट तरह का सामाजिकसचार है और यह सभी मानव समाज में प्रभावी है। संचार मानव समुदाय के जीवन की वह धुरी है, जिसके द्वारा मनुष्य के सामाजिक सम्बन्ध का निर्माण एवं विकास होता है। संचार के बिना मनुष्य के सामाजिक जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है। संचार प्रक्रिया का प्रारम्भ शिशु के जन्म से होता है और उसका अन्त मानव जीवन के अन्त से ही होता है। इस तरह संचार जीवन का अभिन्न भाग है। संचार की प्रक्रिया जीवन के इतिहास के शुरुआत से चली आ रही है। यह समाज की प्रगति का जीवन्त उदाहरण है। प्रारम्भिक आदिम मानव प्रतीकों एवं हाव-भाव द्वारा सम्प्रेषण करते थे। बाद में शब्दों को बोलकर सम्प्रेषण किया जाने लगा जो भाषा रूप में था। जैसे-जैसे तकनीकी विकास हुआ लिखे हुए शब्द व अनेक माध्यमों का प्रयोग किया जाने लगा।