भक्तिकालीन रचनाकारों के काव्य में नारी चेतना का अध्ययन

Nand Bhanwar Rathore
रिसर्च स्कोलर, शिक्षा विभाग ज्योति विद्यापीठ, जयपुर, राजस्थान Email- rathodnandbhanwar@gmail.com, Mobile- 9024531700

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ड़ॉ निरूपमा हर्षवर्धन, प्रोफेसर, शिक्षा विभाग ज्योति विद्यापीठ, जयपुर, राजस्थान
नारी परिवार में रहते हुए अनेक प्रकार की भूमिकाएं अदा करती है। वह जो चाहे भूमिका निभा सकती है वह एक माँ, पत्नी, बहू होने के साथ-साथ एक बेहतर अध्यापिका, जरूरत पडने पर स्वास्थ्य कर्मी, एक उच्च कोटी की प्रबंधक, एक अच्छी सहपाठी इनके अलावा न जाने कितने ही किरदार अपनी रोजमर्रा की जिन्दगी में निभाती है कुछेक पंक्ति इनके लिए मषहूर है - नारी एक रूप अनेक यह पंक्ति नारी पर बिलकुल सही बैठती है क्योकि नारी ही है जिसमें सहनषीलता पुरूषों से कई गुना अधिक होती है। जीवन में आने वाले हरेक दुख स्त्री सहन कर जाती है और हर चुनौती का डटकर सामना भी करती है।

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