बलात्कार: महिला अस्मिता को चुनौती

Dr Jyoti Sidana
डॉ ज्योति सिडाना, सह-आचार्य समाजशास्त्र विभाग, राज. कला कन्या महाविद्यालय कोटा

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महिलाओं के विरुद्ध हिंसा के लिए सामाजिक-सांस्कृतिक कारक जैसे पितृसत्तात्मक मूल्य, लैंगिक भूमिकाएं और सामाजिक असमानता महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बलात्कार को अक्सर पुरुषों द्वारा महिलाओं के खिलाफ एक शक्ति के दुरुपयोग के रूप में देखा जाता है जिसमें परम्परागत सांस्कृतिक धारणाएं, महिलाओं के विरुद्ध निर्मित पूर्वाग्रह, मीडिया में महिलाओं का प्रस्तुतिकरण और यौन हिंसा के प्रति दृष्टिकोण प्रभावित करते हैं। आर्थिक असमानता और महिलाओं की पुरुषों पर आर्थिक निर्भरता जैसे कारक भी हिंसा के लिए जिम्मेदार माने जा सकते हैं। महिलाओं के विरुद्ध हिंसा से निपटने के लिए हमारे देश में कानून और नीतियां बहुत हैं लेकिन अक्सर इन कानूनों का पालन नहीं किया जाता है। कभी आर्थिक रूप से शक्तिशाली वर्ग, कभी राजनीतिक रूप से शक्तिशाली समूह तो कभी कोई अन्य दबाव समूह अपनी शक्तियों का दुरूपयोग करके ऐसे कानूनों की उपेक्षा करता नजर आता है। ऐसा हमेशा से प्रचार किया जाता रहा है कि महिलाओं के विरुद्ध हिंसा के बारे में जागरूकता और शिक्षा बढ़ाने से इस समस्या को कम करने में मदद मिल सकती है। लेकिन आजादी के 78 वर्षों के बाद भी इस कथन को मूर्त रूप नहीं दिया जा सका है।

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