पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं की भूमिका

Dr Neetu
असिस्टेंट प्रोफेसर, राजकीय कला महाविद्यालय, सीकर E-mail - neeturepswall@gmail.com, Mob.-9529542900
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् ग्रामीण विकास को नई गति देने हेतु 20 अक्टूबर, 1952 को ‘सामुदायिक विकास कार्यक्रम’ विकास खण्डां के माध्यम से प्रारम्भ हुए।5 1925 में महात्मा गांधी ने कहा था “जब तक भारत की महिलाएं सार्वजनिक जीवन में भाग नहीं लेंगी, तब तक इस देश को मुक्ति नहीं मिल सकती। मेरे लिए ऐसे स्वराज का कोई अर्थ नहीं है, जिसको प्राप्त करने में महिलाओं ने अपना भरपूर योगदान न किया हो।“6 गांधीजी की पहल पर पहली बार महिलाएं व्यापक स्तर पर सार्वजनिक जीवन में सक्रिय हुईं। उन्होंने अपने अस्तित्व की सार्थकता प्रमाणित की। यह भी सिद्ध किया कि भारत के पिछडे़पन का एक कारण महिलाओं की उपेक्षा भी रहा है।

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