टेराकोटा हस्तकला राजसमंद जिले के मोलेला गांव के विशेष संदर्भ में
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Published on: Jun 30, 2024
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DOI: CIJE202492934
Dr Shakti Singh Rathore
सहायक आचार्य (समाजशास्त्र) Guest Faculty राजकीय कन्या महाविद्यालय बड़ागुड़ा सोजत, जिला-पाली (राज.) Email- shaktisinghrathod2@gmail.com, Mobile- 9001054675
टेराकोटा पद्धति से जहां लोकदेवता और जनजातीय देवताओं की प्रतिमाओं का निर्माण किया जाता है -मोलेला गांव विश्व के कुछ गिने-चुने स्थानों में एक है। मोलेला को लोकदेवताओं का तीर्थ कहा जाये तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। यह गांव अरावली की पहाड़ियों में स्थित है जिसके एक और नाथद्वारा तीर्थ है तो दूसरी और राणा प्रताप की पुण्यभूमि हल्दीघाटी है। अरावली की पहाड़ियों में भील और गरासिया जाति के लोग बहुत है ये लोग अपने मन्दिरों और देवरों में प्रतिष्ठित करने हेतु मोलेला की बनी मूर्तियों ही ले जाते हैं। राजस्थान ही नहीं मध्यप्रदेश और गुजरात की आदिवासी जातियाँ भी इन मूर्तियों की ग्राहक हैं। यहाँ की मूर्तियाँ मजबुत और टिकाऊ होती है, इसलिए प्रतिवर्ष यहाँ सैकड़ों देवी देवताओं की प्रतिमाओं की बिक्री होती है। सिवाय रंग रोगन के मूर्ति को वर्षों तक कुछ नहीं बिगड़ता। इसलिए आदिवासी यहाँ के कारीगरों को ले जाकर दुबारा रंग रोगन करा लेते हैं।