झालावाड़ जिले की ग्रामीण महिलाओं पर शिक्षा और वैश्वीकरण के प्रभाव का अध्ययन
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Published on: Jun 30, 2024
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Co-Authors: डॉ. इनाम इलाही, पर्यवेक्षक
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DOI: CIJE202492992_93
Ravindra Kumar Regar
शोधार्थी, मौलाना आजाद विश्वविद्यालय, जोधपुर (राज.) Mobile-9799760737 Email-ravindraregar21@gmail.com
Co-Author 1
डॉ. इनाम इलाही, पर्यवेक्षक
मौलाना आजाद विश्वविद्यालय जोधपुर (राज.)
प्रस्तुत शोध पत्र में झालावाड़ जिले की ग्रामीण महिलाओं पर शिक्षा और वैश्वीकरण के प्रभाव का अध्ययन पर शोध कार्य किया है। एक नारी को शिक्षित करने का अर्थ एक परिवार को शिक्षित करना है। वर्तमान युग को वैचारिकता का युग कहा जा सकता है। अगर स्त्रिया माता अथवा गृहिणी के संस्कार, शिक्षा-दीक्षा आदि उत्तम नहीं होगी तो यह समाज और राष्ट्र को श्रेष्ठ सदस्य कैसे दे सकती है? समाज के लिए स्त्री का स्वस्थ, खुशहाल, शिक्षित, समझदार, व्यवहार कुशल, बुद्धिमान होना जरूरी है और यह सब शिक्षा से ही सम्भव हो सकता है। जब स्त्री की स्वयं की स्थिति सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, शैक्षिक आदि दृष्टिकोणों से उन्नत होगी तो वह परिवार, समाज और राष्ट्र के विकास में अपना योगदान दे पायेंगी क्योंकि एकता स्त्रियाँ स्वयं राष्ट्र की आधी से कम जनसंख्या है तथा दूसरा बच्चे, युवा प्रौढ़ और वृद्धजन उन पर अपनी पारिवारिक आवश्यकताओं के लिए निर्भर रहते हैं। महिलाओं की बढ़ती शिक्षा और वैश्वीकरण का प्रभाव का अध्ययन करने पर पता चलता है महिलायें जितनी आंकड़ो में शिक्षित हुई है दूसरी तरफ समाज उनके विकास में मानसिक रूप से समायोजन के लिए तैयार नही दिख रहा है। वही दूसरी और महिलाओं में शिक्षित होने के पश्चात् शिक्षा के उपयोग का संकट दिखायी देता है। महिलाओं के सर्वागीण विकास में शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान है जो महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने में सकारात्मक योगदान देती है।