कबीर का काव्य -शिल्प बेजोड़ है | तार्किक क्षेत्र में अत्यंत शुष्क, तीक्ष्ण और हृदयहीन प्रतीत होने वाले कबीर भक्ति की भावधारा में बहते समय सबसे आगे दिखाई देते हैं | अपनी निरक्षरता की खुल्लेआम घौषणा करके भी जब वे आवेश में आते हैं; तब रूपको, प्रतीकों, अलंकारों की ऐसी झड़ी लगा देते […]