अलवर प्रजामंडल आन्दोलन में मास्टर भोलानाथ की भूमिका।

Manoj Kumar
Manoj Kumar, Assistant Professor,Govt Girls College Tapukra (Khairthal-Tijara)
शोध सार - अलवर प्रजामंडल के इतिहास में प्रमुख प्रजामंडल कार्यकर्ताओं के रूप में मास्टर भोलानाथ का स्थान हम अग्रिम पंक्ति मे पाते हैं। मास्टर भोलानाथ अलवर रियासत में ही अध्यापक के पद पर कार्यरत थे। प्रारंभ से ही क्रांतिकारी विचारों से प्रभावित मा. भोलानाथ लक्ष्मण स्वरूप त्रिपाठी, नत्थूराम मोदी, इंद्र सिंह आजाद जैसे राष्ट्रीय कार्यकर्ताओं के संपर्क में आकर 1936 से ही राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेना प्रारंभ कर दिया था। अखिल भारतीय कांग्रेस के विधान में अलवर क्षेत्र दिल्ली प्रदेश कांग्रेस का एक भाग होने के कारण लाला शंकर लाल, नायर जी, पार्वती देवी, सरस्वती देवी, केदारनाथ गोयनका जैसे कांग्रेस नेताओं का भी अलवर आना-जाना था।1 अपनी राजनैतिक गतिविधियों के कारण जल्दी ही सरकार की नजरों में आने से इन्होंने अध्यापक पेशा छोड़कर 1939 में प्रत्यक्ष रूप से अलवर की राजनीति में सक्रिय होकर अलवर राज्य प्रजामंडल के लिए अपने आप को एक अनिवार्य शक्ति के रूप में शामिल कर लिया।2 कांग्रेस कार्यालय पर कब्जा करने व द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान चंदा वसूल किए जाने के विरोध से लेकर मत्स्य संघ में मंत्री बनने तक मा. भोलानाथ एक सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में कार्य करते रहे।

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